ESGBPTARDEFRRUCNHI

Taxonomia.Suculentas.com

No se puede entender a las suculentas sin su clasificación botánica.

Crassulaceae
de Candolle 1805

शब्दोत्पत्ति: क्रसुला परिवार से।
मूल स्थान: पाँच महाद्वीपों के शुष्क और गर्म क्षेत्र।

यह छोटे से मध्यम आकार की मुख्य रूप से रसीली पौधों का समूह है, जो शुष्क और अर्ध-शुष्क वातावरण के अनुकूल हैं। इनकी पत्तियाँ आमतौर पर मांसल और मोटी होती हैं, जो पानी संचय कर सकती हैं, हालाँकि सभी प्रजातियों में यह विशेषता नहीं पाई जाती। इन पौधों में आमतौर पर छोटे फूल विकसित होते हैं, जो गुच्छों में व्यवस्थित होते हैं, और मौसमी सूखे तथा अनुपजाऊ मिट्टी में अपनी सहनशीलता के कारण बागवानी में इनकी बहुत सराहना की जाती है।
मुख्य जातियाँ:
adromischus-lemaire-1852

Adromischus (Lemaire 1852)

छोटे झाड़ीनुमा पौधे। बहुत छोटे तने, बहुत मांसल पत्तियाँ जो गोल और फूले हुए होते हैं। पानी की कमी और सीधी धूप के प्रति बहुत सहनशील। जलभराव और कवक के प्रति बहुत संवेदनशील। बहुत अधिक खनिज युक्त और कम जैविक पदार्थ वाली मिट्टी पसंद करते हैं।
शब्दोत्पत्ति: Adromischus: यह नाम ग्रीक शब्द 'adro' (मोटा) और 'mischus' (तना) से लिया गया है।
मूल स्थान: वे दक्षिणी अफ्रीका के स्थानिक हैं

aeonium-webb--berthel--1840

Aeonium (Webb & Berthel. 1840)

गोलाकार तनों पर गुलाब जैसी आकृति वाले रसीले पौधे। मांसल सदाबहार पत्तियाँ। कैनरी द्वीप समूह की स्थानिक प्रजाति होने के बावजूद, इनकी सरल देखभाल के कारण ये घरेलू सजावटी पौधे के रूप में व्यापक रूप से लगाए जाते हैं।
शब्दोत्पत्ति: यूनानी शब्द «aionion» से व्युत्पन्न, जिसका अर्थ है सदैव जीवित।
मूल स्थान: अधिकांश कैनेरी द्वीप समूह से हैं। कुछ मेडेरा, उत्तरी और पूर्वी अफ्रीका में पाई जाती हैं।

crassula-l--schönl--1753

Crassula ((L.) Schönl. 1753)

यह लगभग 200-300 झाड़ीदार या रेंगने वाली प्रजातियों को शामिल करता है। इनमें आमने-सामने, मांसल और आमतौर पर बिना रोएँ वाली पत्तियाँ होती हैं। फूल छोटे, पाँच पंखुड़ियों वाले होते हैं, जो तने के अंत में गुच्छेदार पुष्पक्रम में समूहित होते हैं। इनका उपयोग अक्सर बागवानी में किया जाता है। इनका मुख्य जल भंडार पत्तियों में होता है।
शब्दोत्पत्ति: लैटिन "क्रैसस" से, जिसका अर्थ है "मोटा", इस जीनस की कई प्रजातियों की पत्तियों की मोटाई के संदर्भ में।
मूल स्थान: मुख्यतः दक्षिण अफ्रीका से, हालाँकि इन्हें दुनिया के कई शुष्क क्षेत्रों में पाया जा सकता है।

kalanchoe-adans-1763

Kalanchoe (Adans 1763)

विविध आकार वाले पौधे, छोटी जड़ी-बूटियों से लेकर 6-7 मीटर तक के बड़े नमूनों तक। ये बारहमासी पौधे हैं, हालाँकि कुछ प्रजातियों में सर्दियों में पत्तियाँ कुछ हद तक (पूरी तरह से नहीं) गिर जाती हैं। इनमें छत्रक के आकार की बहुत ही विशिष्ट पुष्प डंठल होते हैं। पुष्पन देर से शरद ऋतु से लेकर शुरुआती वसंत तक होता है।
शब्दोत्पत्ति: हिंदी में अनुवाद: "कलन चाई" (चीनी से), जिसका अर्थ है: "ऐसा पौधा जो गिरता है और फिर बढ़ता है"।
मूल स्थान: अफ्रीका, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र।

sedum-l-1753

Sedum (L.1753)

प्रमुख रसीली पौधे जो अपने मांसल पत्तों और पूर्ण मिट्टी विहीन चट्टानों जैसे अत्यंत कठोर भूभागों में अनुकूलन की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। ये सूखे के प्रति अत्यधिक सहनशील और किसी भी छोटे से अवशेष से पुनर्जीवित होने की उल्लेखनीय क्षमता रखते हैं। इनकी प्रजातियाँ घासीय, रेंगने वाली या छोटी झाड़ियों के रूप में हो सकती हैं, जिनमें नाजुक तने होते हैं। ये हल्के रंग के तारे जैसे फूलों वाले पुष्पक्रम उत्पन्न करते हैं। आमतौर पर ये छोटे आवरणीय समूह बनाते हैं।
शब्दोत्पत्ति: लैटिन "sēdō, sēdere" से, जिसका अर्थ है बैठा रहना।
मूल स्थान: लगभग पूरा उत्तरी गोलार्ध, यूरोप, एशिया, उत्तरी अफ्रीका, और मध्य व उत्तरी अमेरिका। मुख्यतः चट्टानी क्षेत्रों में।

umbilicus-dc-1801

Umbilicus (DC. 1801)

यह अपनी मांसल और गोल पत्तियों के लिए जाना जाता है, जिनके केंद्र में एक गड्ढा होता है जो नाभि जैसा दिखता है। ये पत्तियाँ आधार पर गुलदस्ते में व्यवस्थित होती हैं और पानी जमा करने में सक्षम होती हैं, जिससे पौधा चट्टानी आवासों में सूखे की अवधि को सहन कर पाता है। इसमें पतले फूलों के डंठल होते हैं जिन पर लटकते हुए पुष्पगुच्छ और छोटे फूल लगते हैं। यह दरारों, दीवारों और नम चट्टानों में उगता है। गर्मियों के दौरान यह चट्टान में छिपी एक कंदयुक्त जड़ तक सिमट सकता है। इसमें इमारतों और ऊर्ध्वाधर सतहों पर फैलने की उल्लेखनीय क्षमता होती है।
शब्दोत्पत्ति: अपने पत्तों के आकार के कारण नाभि के रूप में।
मूल स्थान: भूमध्यसागरीय क्षेत्र और पश्चिमी एशिया।

अन्य जातियाँ:
Aichryson ( Webb & Berthel. 1840)
Cotyledon (L. 1753)
Dudleya (Britton & Rose1903)
Echeveria (DC.1828)
Graptopetalum (Rose1911)
Greenovia (Webb & Berthel.1843)
Hylotelephium (H.Ohba1977)
Hypagophytum (A.Berger1930)
Lenophyllum (Rose1904)
Monanthes (Haw.1821)
Orostachys (Fisch.1809)
Pachyphytum (Link, Klotzsch & Otto1841)
Perrierosedum ((A.Berger) H.Ohba1978)
Phedimus (Raf.1824)
Pistorinia (DC.1828)
Prometheum ((A.Berger) H.Ohba1978)
Pseudosedum (A.Berger1930)
Rhodiola (L.1753)
Rosularia (Stapf1923)
Sempervivum (L.1753)
Thompsonella (Britton & Rose1909)
Tylecodon (Toelken 1978)
Villadia (Rose1903)
Inicio